ये अच्छा है कि कोच्चि टीम मालिकों को मनोरंजन कर में मिली छूट के खिलाफ किसी ने तो वैधानिक कदम उठाया। इसको लेकर एक जनहित याचिका विचाराधीन है। लेकिन बड़ा सवाल है कि ये नौबत ही क्यों आई? इस तरह के जनविरोधी फैसले करने से पहले सरकार ने कुछ सोचा क्यों नहीं?
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